पत्रिका - दिव्यालोक
अंक - 2011
स्वरूप - अर्ध वार्षिक
संपादक - जगदीश किंजल्क
मूल्य - (60 रू प्रति)
फोन/मोबाईल: 09977782777, 0755-2494777
ई मेल - jadgishkinjalk@gmail.com
वेबसाईट ------
पत्राचार : साहित्य सदन, प्लाट नंबर - 145 A सांई नाथ नगर, सी सेक्टर, कोलार भोपाल - 462042
जगदीश किंजल्क ने सम्पादकीय में साहित्य, साहित्यकार व समाज की वर्तमान स्थिति पर विचार किया है आप लिखते हैं -
कुछ राज्य सरकारों द्वारा साहित्यिक पत्रिकाएँ क्रय की जाती थी, सरकार को लगा यह फिजूल खर्ची है तुरंत बंद होना चाहिए... और बंद हो गयी| पक्ष विपक्ष ने सर्व सम्मति से इस निर्णय का स्वागत किया ...
लेख खंड में 'कौन कौन ग्रन्थ पढ़े होंगे तुलसीदास ने' (अम्बिका प्रसाद दिव्य) विशेष पठनीय, ज्ञान परक व विचार परक है
गीत खंड में शिवानंद सिंह 'सहयोगी', विजय लक्ष्मी 'विभा' व चंद्रसेन 'विराट' के गीत विशेष प्रभावशाली हैं विराट जी ने अपने गीत को किस मोहक ढंग से अलंकृत किया है -
कहानी खंड में तीन कहानियों 'मोहजाल' (प्रतिभा जौहरी), 'आस्था' (सतीश दूबे), 'बीतता पल' (राधे मोहन राय) में मानव मन की उलझनों को बखूबी सुलझाने का प्रयत्न किया गया है, कुछ जगह सुलझी भी है और कुछ उलझन और उलझने को आतुर दिखीं 'मोह जाल' का प्लाट थोडा पुराना है परन्तु कहानीकार ने कहानी को अच्छे से निभा लिया है
नवगीत खंड में काफी कुछ नयापन है मगर साथ साथ एक कच्चापन भी साथ साथ चलता रहा, आशा है आगे चल कर यह खंड और सार्थकता लिए हुए होगा
व्यंग्य खंड अपनी सार्थकता का सुरुचिपूर्ण बोध करवाता है, अजय चतुर्वेदी 'कक्का', अजीत श्रीवास्तव, राधे मोहन राय के व्यंग्य लेख प्रभावशाली हैं
ग़ज़ल खंड में महेश अग्रवाल, डा.दरवेश भारती, विजयलक्ष्मी 'विभा' की ग़ज़लें मन को प्रमुदित करती हैं
कुछ ग़ज़लें लय से भटक रही हैं सम्पादक दल को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए
अशोक गुजराती की लघु कथा 'चित-पट' स्तरीय है
समीक्षा खंड भी पत्रिका के साहित्य को स्तरीयता प्रदान करता है व पत्रिका को समृद्ध करता है
पत्रिका पठनीय है व् अनेक विधाओं को समेटे हुए है
---------------------------------------------------------------------------------------
'समीक्षा ब्लॉग समूह' के पाठकों के लिए दिव्यालोक पत्रिका की सदस्यता की राशि में १० प्रतिशत की विशेष छूट मिलेगी व् उपहार स्वरूप २०० रु मूल्य की साहित्यिक पुस्तकें उपहार स्वरूप दी जायेगी
(छूट व उपहार पाने के लिए पत्रिका के सम्पादकीय विभाग से संपर्क करें व समीक्षा ब्लॉग समूह का उल्लेख जरूर करें)
अंक - 2011
स्वरूप - अर्ध वार्षिक
संपादक - जगदीश किंजल्क
मूल्य - (60 रू प्रति)
फोन/मोबाईल: 09977782777, 0755-2494777
ई मेल - jadgishkinjalk@gmail.com
वेबसाईट ------
पत्राचार : साहित्य सदन, प्लाट नंबर - 145 A सांई नाथ नगर, सी सेक्टर, कोलार भोपाल - 462042
जगदीश किंजल्क ने सम्पादकीय में साहित्य, साहित्यकार व समाज की वर्तमान स्थिति पर विचार किया है आप लिखते हैं -
कुछ राज्य सरकारों द्वारा साहित्यिक पत्रिकाएँ क्रय की जाती थी, सरकार को लगा यह फिजूल खर्ची है तुरंत बंद होना चाहिए... और बंद हो गयी| पक्ष विपक्ष ने सर्व सम्मति से इस निर्णय का स्वागत किया ...
लेख खंड में 'कौन कौन ग्रन्थ पढ़े होंगे तुलसीदास ने' (अम्बिका प्रसाद दिव्य) विशेष पठनीय, ज्ञान परक व विचार परक है
गीत खंड में शिवानंद सिंह 'सहयोगी', विजय लक्ष्मी 'विभा' व चंद्रसेन 'विराट' के गीत विशेष प्रभावशाली हैं विराट जी ने अपने गीत को किस मोहक ढंग से अलंकृत किया है -
मैं अपने मैं का दास रहा
वह खुश तो मैं खुश
उसके दुःख से मैं दुखी, उदास रहा
वह दम्भी अभिमानी अशिष्ट
अकरुण कठोरता का विग्रह
मैं अति विनम्र, आज्ञाकारी
अति सदाशयी सेवक निस्पृह
वह तो अघोर अति शासक अति
अनूदित अविरल अनुप्रास रहा |
कहानी खंड में तीन कहानियों 'मोहजाल' (प्रतिभा जौहरी), 'आस्था' (सतीश दूबे), 'बीतता पल' (राधे मोहन राय) में मानव मन की उलझनों को बखूबी सुलझाने का प्रयत्न किया गया है, कुछ जगह सुलझी भी है और कुछ उलझन और उलझने को आतुर दिखीं 'मोह जाल' का प्लाट थोडा पुराना है परन्तु कहानीकार ने कहानी को अच्छे से निभा लिया है
नवगीत खंड में काफी कुछ नयापन है मगर साथ साथ एक कच्चापन भी साथ साथ चलता रहा, आशा है आगे चल कर यह खंड और सार्थकता लिए हुए होगा
व्यंग्य खंड अपनी सार्थकता का सुरुचिपूर्ण बोध करवाता है, अजय चतुर्वेदी 'कक्का', अजीत श्रीवास्तव, राधे मोहन राय के व्यंग्य लेख प्रभावशाली हैं
ग़ज़ल खंड में महेश अग्रवाल, डा.दरवेश भारती, विजयलक्ष्मी 'विभा' की ग़ज़लें मन को प्रमुदित करती हैं
खाब अपने कांच के घर हो गए |
और उनके फूल पत्थर हो गए |
हम नदी की फ़िक्र में बैठे रहे,
लोग पल भर में समंदर हो गए |
- महेश अग्रवाल
कुछ ग़ज़लें लय से भटक रही हैं सम्पादक दल को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए
अशोक गुजराती की लघु कथा 'चित-पट' स्तरीय है
समीक्षा खंड भी पत्रिका के साहित्य को स्तरीयता प्रदान करता है व पत्रिका को समृद्ध करता है
पत्रिका पठनीय है व् अनेक विधाओं को समेटे हुए है
---------------------------------------------------------------------------------------
'समीक्षा ब्लॉग समूह' के पाठकों के लिए दिव्यालोक पत्रिका की सदस्यता की राशि में १० प्रतिशत की विशेष छूट मिलेगी व् उपहार स्वरूप २०० रु मूल्य की साहित्यिक पुस्तकें उपहार स्वरूप दी जायेगी
(छूट व उपहार पाने के लिए पत्रिका के सम्पादकीय विभाग से संपर्क करें व समीक्षा ब्लॉग समूह का उल्लेख जरूर करें)
- जगदीश किंजल्क
संपादक : दिव्यालोक
पहली बार इस पत्रिका का नाम सुना। अच्छी लगी समीक्षा। विशेष छूट के लिये लिखती हूँ। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएं