
अंक - ३० मई 2011
स्वरूप - साप्ताहिक(प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित)
संपादक - पूर्णिमा वर्मन
मूल्य - निःशुल्क(वेब पत्रिका)
ई मेल - teamabhi@abhivyakti-hindi.org
वेबसाईट http://www.abhivyakti-hindi.org/
अभिव्यक्ति का यह अंक वट सावित्री पर्व को ध्यान में रखकर प्रकाशित किया गया है
पुष्पा तिवारी की कहानी "सावित्री का वट" नए शिल्प में लिखी गई कहानी है जो नारी अंतर्मन के ढेर सारे चित्र उकेरती है| लेखिका निश्चय ही बधाई की पात्र हैं|
सावित्री झुरमुट की तलाश में इस कदर उलझ गई कि नदी तक नहीं पहुँच पाई। सूर्य किरण उसे न पाकर नदी से लौट गई थी। नदी लड़की में नहीं डूब जाने पर सिसकती रही। वह इसलिए सूखने भी लगी थी। सूर्य किरण लड़के के घर पहुँची। वह बाल्टी भर कुएँ के जल में एक और लड़की की नदी ढूंढ़ रहा था, सावित्री की नहीं। यह तलाश वह रात की बची हुई रोशनी की मदद से दिन में कर रहा था। किरण को रोज की तरह धूप के साथ सावित्री के घर जाना था। किरण और सावित्री दोनों के लिए धूप का घर नदी किनारे ही था।
रवींद्र खरे 'अकेला' की लघुकथा- "बरगद का दर्द" बरगद के प्रतीक के मध्याम से आधुनिक परिवारों में बंटवारे की त्रासदी को प्रस्तुत करती है| अमूमन अन्य लघुकथाओं के विपरीत इसका सकारात्मक अंत भी एक अच्छा प्रयास है|
डॉ. राजकुमार मलिक का आलेख "समय का समरूप बरगद" कई विशिष्ट तथ्यों के माध्यम से बरगद की विशालता, समय के साथ उसकी गतिशीलिता, धार्मिक महत्वों और अन्य लाभों का विश्लेषण करता है| एक पठनीय आलेख
पुनर्पाठ में कन्हैयालाल चतुर्वेदी का आलेख "क्रांतिकारी घटना का साक्षी वह बरगद" भी एक ऐतिहासिक क्रांतिकारी घटना को सबके समक्ष लाने का बेहतरीन प्रयास है|
कीर्तीश भट्ट का कार्टून भी गुदगुदाता है
अन्य स्तंभों में नया व्यंजन, इला प्रवीण की शिशुचर्या का २२वाँ सप्ताह, अलका मिश्रा का आयुर्वेदिक सुझाव, कंप्यूटर की कक्षा में नई जानकारी- साथ में- वर्ग पहेली भी हैं|