सोमवार, 30 मई 2011

वेब पत्रिका 'अनुभूति '-३० मई २०११

पत्रिका -           अनुभूति
अंक -              ३० मई 2011
स्वरूप -            साप्ताहिक(प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित)
संपादक -          पूर्णिमा वर्मन
मूल्य -             निःशुल्क(वेब पत्रिका)
ई मेल -            teamanu@anubhuti-hindi.org
वेबसाईट           http://www.anubhuti-hindi.org/


अनुभूति के इस अंक में इसी समूह द्वारा चलाई जाने वाली "नवगीत की पाठशाला" की पिछली कार्यशाला से कुछ चुनिन्दा गीत प्रकाशित किये गए हैं| 
कुमार रवींद्र, यश मालवीय, भारतेंदु मिश्र, जय कृष्ण राय तुषार, अमित, वीनस केशरी, ओम प्रकाश तिवारी, संजीव सलिल, रचना श्रीवास्तव, प्रभु दयाल, धर्मेन्द्र कुमार सिंह,  अवनीश सिंह चौहान, रूप चंद्र शास्त्री 'मयंक', राणा प्रताप सिंह, शेषधर तिवारी और नियति वर्मा के कुल मिलाकर १८ गीत हैं| अधिकतर गीतों में मानवीय संवेदनाओं और समकालीन विसंगतियों को ही विषय से जोड़ने का  प्रयास किया गया है| एक ही विषय पर अलग अलग गीतकारों की रचनाएँ प्रस्तुत करना एक उपलब्धि है| चुने गए सभी गीत स्तरीय हैं नवगीतकारों को बधाई |

अंजुमन  में दिनेश ठाकुर की चार ग़ज़लें शामिल हैं, कुछ शेर प्रस्तुत हैं -



भीड़ में खोया हुआ है आदमी
भीड़ से निकला सिकन्‍दर हो गया
 *                  *                *
आह भरते हैं मगर आहट नहीं होती
मन से मन की दूरियों में आदमी खोया
   *                  *                *
दब रहे आतंक में सब लोग इस्‍पंजी बने
कैसे कह दें रहनुमा हालात से अनजान है


चारों गज़लें कथ्य की दृष्टि से उत्तम हैं और अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम हैं| ग़ज़लें एक दो जगह मीटर से बाहर भी चली गई हैं|  

छन्दमुक्त में डा० हरदीप संधु की पांच कवितायें हैं| सरल शब्दों में लिखी गई कवितायें अच्छी बन पडी हैं, एक बानगी देखिये -


 जब दिल करता 
हँसना-गाना 
मौज मनाना 
कभी -कभी रो देना 
याद आता है 
आज फिर वही
वो तुतलाता बचपन 
वो बेफ़िक्री
वो भोलापन !




साथ ही साथ हाइकु कविता का प्रयोग भी बहुत सुन्दर है|

इसके अतिरिक्त डा० वन्दना मुकेश की पांच क्षणिकाएं भी इस अंक की शोभा बढ़ा रही हैं|

पुनर्पाठ में सुरेश यादव जी की रचनाओं को प्रस्तुत किया गया है|
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